إلهي أعدني إلى وطني عندليب | |
على جنح غيمة | |
على ضوء نجمة | |
أعدني فلّة | |
ترف على صدري نبع وتلّة | |
إلهي أعدني إلى وطني عندليب | |
عندما كنت صغيراً وجميلاً | |
كانت الوردة داري والينابيع بحاري | |
صارت الوردة جرحاً والينابيع ضمأ | |
هل تغيرت كثيراً؟ | |
ما تغيرت كثيراً | |
عندما نرجع كالريح الى منزلنا | |
حدّقي في جبهتي | |
تجدي الورد نخيلاً والينابيع عرق | |
تجديني مثلما كنت صغيراً وجميلا | |
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